इंसानियत की बड़ी मिसाल थे हज़रत साग़र मियां
सण्डीला/हरदोई- सम्प्रदायिक एकता की मिसाल सूफी बुज़ुर्ग हज़रत सय्यद शाह शरफ उद्दीन अहमद साग़र मियां फातमी चिश्ती निज़ामी रह.के 19 वें यौमे विसाल के अवसर पे क़स्बा के मोहल्ला मंगल बाज़ार स्थित दरगाह हज़रत साग़र मियां में "जलसा बयादगार हज़रत साग़र मियां रह."का आयोजन किया गया। तहरीक़ परचमें मोहम्मदी के अध्यक्ष फरीद उद्दीन अहमद ने अध्यक्षता करते हुए कहा की सूफ़िज़्म क्या है। इस पर खरा उतरना साग़र मियां बखूबी जानते थे। उन्होंने सूफ़िज़्म के पैग़ाम को आगे बढ़ाने का काम देश विदेश में किया।
दरगाह के सज्जादानशीन मुईज़उद्दीन अहमद साग़री चिश्ती ने कहा मख्दूमज़ादा हज़रत साग़र मियां अपने समय के सूफ़ी बुज़ुर्ग के साथ प्रसिद्ध फ़ारसी व उर्दू भाषा के शायर भी थे।वह अपना ज़्यदा समय इबादत में गुज़ारते थे। सही मायनों में सच्चे सूफी बुज़ुर्ग थे।मुख्य अतिथि हज सेवा समिति के अध्यक्ष अब्दुल खालिक सिद्दीक़ी ने कहा सूफी लिखने से कोई सूफी नही बनता सूफ़िज़्म की शिक्षा पे अमल करने से सूफी बनता है।
जलसा का संचालन हाफ़िज़ मुक़ीम ने किया।इस अवसर पर नात मनकबत पढ़ने वाले बच्चों को अतिथियों द्वारा पुरस्कार वितरण किये गये। जिसमें प्रथम पुरस्कार अलशिफा खातून को मिला,दूसरा तसमिया खातून तीसरा इनाम मोo साकि व अन्य बच्चों को दिया गया। इस अवसर पर मौलाना सरवर जमाल, हाफिज शाह आलम, हाफिज जीशान, असलम उस्मानी,फ़ाज़िल हाशमी,फ़रहान साग़री,साकिब अली हाशमी सैफी, दावर रज़ा फरहत ने अपना कलाम पढ़ा।